रणथंभौर – जब हम उनके इलाके में होते हैं…
आपसे कुछ गज़ की दूरी पर नूरी बेख़ौफ़ घूम रही है । इतने लोगों से घिरे होने के बावजूद , वो मनुष्यों के पूरे झुंड को नज़रअंदाज़ कर अपनी राह चली जाती है । हमें अपनी आंखों पर यक़ीन नहीं होता , बच्चे रोमांच से भर जाते हैं और सफ़ारी गाइड की जेबें बक्शीश से ।नूरी इस सबसे बेखबर फिर चल पड़ी है अपने अगले शिकार की तलाश में , नूरी जानती है ये उसका इलाका है जहाँ उसका राज है । एक साल से अधिक समय हो गया लेकिन में नूरी को भूल नहीं पाई । वो पल हूबहू वहीं ठहरा है , कितने लोगों की कितनी ही बार ये किस्सा सुना चुकी हूं और हर बार उतने ही उत्साह से ।
यह सब देखते हुए और कईं बार याद करते हुए बार बार यही सवाल जहन में आता है कि आखिर क्यों हमने उनके इलाकों को चिड़ियाघरों में बदल दिया।