हमने युद्ध के शंखनाद में अपने सारी उर्जा गंवा दी और यह भी भूल गए कि लड़ाई अभी बाकी है । देश के कोने कोने से आई कुछ तस्वीरों को देखकर जहां हर्ष है वहां कुछ और तस्वीरों को देखकर मन बहुत दुखी है । क्यों हम एक छोटी सी बात नहीं समझ पाए । प्रधानमंत्री जी ने आपको साफ कहा था कि अपने अपने घरों पर रहते हुए ताली या थाली बजाना है। उद्देश्य था हमारे चिक्तिसा , सफाईकर्मियों ,पुलिस, प्रशासन व अन्य लोग जो अपनी जान पर खेलकर हमें इस बीमारी से बचा रहें हैं उनका आभार व्यक्त करना व उनका धन्यवाद कहना । तो यह प्रतीकात्मक या जिसे अंग्रेज़ी में कहते हैं symbolic था। बहुत अच्छी बात है अधिकतर लोगों ने सही तरीका अपनाया है। लेकिन बात उनकी करनी है जिन्होंने गाजे बाजे के साथ रैलियां और जुलूस निकाले और अपने साथ साथ बहुत सारे और लोगों के लिए खतरा बढ़ा दिया।
गलती प्रधानमंत्री जी की बिल्कुल नहीं है। गलती हमें ही कहीं है और अभी अपने घरों पर बैठे हमें सोचना होगा कि जब पिछले दो हफ्तों से लगातार टीवी सोशल मीडिया रेडियो सब जगह यही बात कहीं जा रही है की विषाणु का इलाज social distancing है, जितना कम लोग एक दूसरे के संपर्क में आएंगे यह वायरस उतना ही कम फैलेगा । इतनी छोटी सी बात हमें समझ क्यों नहीं आई। कोई मौका नही छोड़ते हम भीड़ का हिस्सा बनने का वो भी इन परिस्थितियों में । हमें प्रतीकात्मक रूप में सिर्फ ताली या थाली बजानी थी। हमने ढोल-नगाड़े , गाजे -बाजे बजा दिए । हमें जहां पड़ोसी से भी दूरी बनाकर रखनी थी वहां हम पूरे पूरे मोहल्ले की टोलियां बना कर जश्न मनाने लगे।
क्या सचमुच ये जश्न का समय है । इस समय जब में यह लिख रही हूँ दुनिया भर में इस विषाणु से मारने वालों की संख्या 12000 हों गई है, संक्रमित लोगों को आंकड़ा तीन लाख तक पहुँच चुका है। क्या ये कोई खुशखबरी है । देश में 350 से ज्यादा केस अभी तक दर्ज हो चुके हैं। देश की अर्थव्यवस्था जिस हालत में थी उसके बाद ये कोरोना के हालात उसे कहाँ ले जाएंगे कुछ अंदेशा है । सब पता है लेकिन हमारी आदत है शुतर्मुर्ग कि तरह सच्चाई से मुंह मोड़ने की । क्या सबसे सस्ता मंगल अभियान बनाने वाले वैज्ञनिकों के देश में हम सचमुच इस बात पर यकीन करना चाहते हैं कि एक दिन पांच मिनट ताली और थाली बजाने से समस्या हल हो जायेगी । जो संदेश सीमीत साधनों में भी इस महामारी से लड़ते हुए लोगों की हौंसला आफजाई के लिए था उसे हमने इलाज बना दिया । किस दुनिया में जी रहे हैं कहने वाले कि कल शाम ये विषाणु पुनः वुहान लौट गया है।
व्हाट्सएप्प , फेसबुक पर रोज इतना कुछ फारवर्ड हों रहा है ईमानदारी से बताईये आपने खुद ने कितनी पोस्ट पूरी पड़ी हैं। सब बस फारवर्ड किये जा रहे हैं । देवियों व सज्जनों कोइ पोस्ट मत पढ़िये सिर्फ जाकर WHO की वेबसाइट देख लीजिये । असलियत पता चल जाएगी । टीवी पर सिर्फ फिल्मे और सीरियल देखिए । जो समाचार चैनल हमें कोरोना का रोज़ नए इलाज बात रहे हैं उनसे जाकर पपूछिये की जब सब जगह बंद की घोषणा हो गई है तो चैनल के पत्रकारों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों हों रहा है।
ये ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है। सबसे बड़ा मुद्दा है हमारी जनसँख्या 130 करोड़ । उसके बाद संसाधन, अमेरिका इटली जैसे विकसित देश भी जब इस बीमारी से निपटने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं तो फिर हम किस भ्रम में जी रहे हैं । सारे आंकड़े उपलब्ध हैं , एक छोटा सा उदाहरण देती हूँ हमारे पास इस वक़्त 36000 लोगो पर मात्र एक quartine bed की व्यवस्था है । वेंटिलेटर और दवाइयों का क्या हाल होगा जब sanetizer जैसी छोटी सी चीज़ की काला बाज़ारी हों रही है ।
सोचो अगर ये महामारी फैल गई तो इस देश के सबसे निचले तबके के क्या होगा । क्योंकि अभिजात्य वर्ग तो फिर भी साधन संपन्न हैं वे कुछ इंतज़ाम कर लेंगे । अतिविशिष्ट लोगो का तो कहना ही क्या वे तो आसानी से विदेशों से आकर कोई बहाना कर होटलों में छिप जाते हैं । बीमारी से बचने का कोई तरीका ढूंढ ही लेंगे । लेकिन गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोग जिनकी संख्या बहुत ज्यादा है उनका क्या होगा।
क्या हमारे लिए जिंदगी की कोई क़ीमत नही रह गई है । और अगर है तो क्या हम कुछ दिन हम अपने अपने घरों में बंद नहीं रह सकते । न कोई दवा लेनी है, न कोई जंग लड़नी है । जो बात पहले हम एक दूसरे को सुनाते थे ‘वक़्त नही है’ । अब वक्त ही वक़्त है करो वो सब जो न करने के लिए तुम्हारे पास वक़्त का बहाना था। कुछ न भी करना हो तब भी सिर्फ इतना कर लो कि घर में रहो । दूसरों को भी सलाह दो । बच्चों और बूढ़ों का खास ख्याल रखो । रोज़ की देहड़ी से अपना जीवन चलाने वाले लोगों की आर्थिक मदद करो। करने को बहुत कुछ है अब भी… और अंत में सब अच्छा ही होगा । मिलजुलकर हम हम अभी तक हर जंग जीतते आए हैं तो ये भी जीतेंगे । बस थोड़ा सा धैर्य, समझदारी और जिम्मेदारी के एहसास की जरूरत है ।
इस बात पर यकीन रखो कि हमारी फिल्मों की तरह हमारी जिंदगी में भी एंड में सब ठीक हो जाता है, हैप्पी एंडिंग्स। और अगर ठीक ना हो तो वो एंड नहीं है दोस्तों पिक्चर अभी बाकी है।
WHO link
https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019
पिक्चर अभी बाकी है
