दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम…

दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम…
दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम..नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम.. 
ये पंक्तियाँ पढ़कर आपके जहन में फरहान अख्तर की तस्वीर उभर आई होगी और अगर  मेरी तरह आपने भी ये फिल्म  तीन चार बार देखी है तो हो सकता है  आपको उनकी खराश भरी आवाज़ भी सुनाई दे | फिल्म याद नहीं आ रही है तो आपकी जानकारी के  लिए बता दूं फिल्म है 2011 में आई ज़ोया अख्तर द्वारा निर्देशित फिल्म “ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा “| फिल्म के शीर्षक में ही उसका सार और सन्देश है |
यह फ़िल्म इसलिए यादगार है  क्योंकि यह एक ऐसी फ़िल्म है जो तीन दोस्तों के जिंदगी के ताने बाने के बहाने हमें जीवन जीने का तरीका सिखाती है। कबीर के शादी होने वाली है और वह शादी से पहले।अपने दोस्तों के साथ एक यात्रा पर जाना चाहता है। इस यात्रा पर हर दोस्त एक ऐसा खेल चुनता है जिसके बारे में बाकी दोनों को नही पता है और इस यात्रा में हुए करार के अनुसार उन्हें ये खेल या एडवेंचर करना ही है वे  मुँह नही फेर सकते। प्रतीकों के माध्याम से फ़िल्म हमारे दिलो में छुपे हुए डर के बारे में बात करती है। क्या यह सच नहीं है की हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें फ़िल्म के किरदारों की तरह ऊंचाई या गहराई से डर लगता है। लेकिन क्या कभी हमने उस डर से आंख से आंख मिलाकर लड़ने की, उससे बाहर आने की कोशिश की है। हम हमारे भीतर के इस  डर का सामना भी नही करना चाहते लड़ना तो बहुत दूर है हम उसकेेआ। हम ऐ करने से ही किई डरते हैंं। हम उसेे हमारे  जहन में पालते पोसते रहते हैं और वो कब विकराल रूप धारण कर लेता है हमें पता ही नही रहता। असलियत ये है हमें कोई धक्का देने वाला चाहिए गहरे पानी मे फिर हर उस चीज़ की ओर जिससे हम भयभीत हैं। जैसा की आप फ़िल्म में देखते हैं की एक क्षण लगता है उस रेखा को पार करने में जो वास्तव में है ही नहीं। पानी से डरने वाला कबीर कुछ ही पलों बाद गहरे समुंदर में गोते लगा रहा होता है वह इस गहराई को पाकर खुश और उतना ही खुश है इमरान भी हजारों फुट की ऊंचाई पर।  अपने अंतिम भाग में फ़िल्म बात करती है हमारे सबसे बड़े डर यानी इस जिंदगी को खोने के डर की। किसी ने लिखा है की ज़िंदगी मौत की तरफ बढ़ते हुए सफर का नाम है। हम सब इस अटल सत्य से वाकिफ हैं फिर भी हम इसका सामना नहीं करना चाहते। हमारी सारी तकनीकों का एक छुपा हुआ लक्ष्य है किसी तरह किस तरह हमारी औसत आयु कुछ वर्ष और बढ़ जाये। लेकिन इतनी बार बताए जाने के बावजूद भी हम ज़िन्दगी में पल जोड़ने की कोशिश में रहते हैं पलों में जिंदगी नहीं। क्या हम सब में से कोई तैयार हो सकता हैं  एक ऐसी दौड़ के लिए जिसमें खुल्ले खूंखार सांड आपके पीछे छोड़ दिए जाएंगे। आपको येन-केन-प्रकारेण बस अपनी जान बचानी हैं । सोच कर भी मुश्किल लगता है, मौत आपके पीछे भाग रही है और चुनौती है जिंदगी चुनने की। इस फ़िल्म में यही कुछ पलों की जिंदगी और मौत की जंग उसके किरदारों के आने वाले जीवन की कहानी बदल देती है।पहला अपनी मांगनी और मंगेतर का दिल तोड़ कर अपने लिए वो जिंदगी चुनता  है जो वो चाहता है न की वो जो उस पर थोपी जा रही थी। दूसरा अपनी डायरी में लिखी कविताओं की किताब छपवाने को तैयार है अब उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की लोग क्या कहेंगे और तीसरा जो पैसे कमाने की दौड़ मैं अपने प्यार को कहीं छोड़ आया था फिर उसकी तरफ लौटता है।सार यह है की किसी भी डर, धारणा या कुंठा की बेड़ियां जो हमें इस जीवन रूपी उत्सव को मनाने से रोकती उन्हें  हमें काटना है। हमें वो जिंदगी चुननी है , छीननी है और फिर जीनी है जो हम चाहते हैं । हमें  ये समझना है आखिरी मंज़िल की ओर बढ़ता हमारा ये सफर इतना शानदार होना चाहिए की जब मौत भी हमें लेने आये तो वो खुद हमारी जिंदादिली पर शर्मिंदा हो । लेेखक निर्देशक नेे इस एक फ़िल्म में  जिंदगी के  कईं पहलुओं को  छुआ है सबकी बात यहांं करना संभव नही है।जब भी आप स्वयं को निराशा या असंमजस के क्षणों में घिरा पाएं एक बार यह फ़िल्म अवश्य देखें मुझे यकीन है आपको सही उत्तर, उम्मीद और जीवन को एक उत्सव की तरह जीने का हौंसला मिलेगा।हवा के झोकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो  तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो.. हर एक लम्हें से तुम मिलो खोले अपनी बाहें हर एक पल एक नया समां देखे ये निगाहें..  जो अपनी आखों में हैरानियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम.. दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम..
ज़ोया और फ़रहान अख्तर जावेद साहब की वीरासत को सहेजे हुए  नए कलेवर के सिनेमा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्हें उनके प्रयासों के लिए बधाई। ऐसी फिल्में बनती रहनी चाहिए समाज को उनकी बहुत जरूरत है।नोट : फ़िल्म के कुछ चुनिंदा अंश YouTube पर व पूरी फ़िल्म AmazonPrimeVideo पर उपलब्ध हैं।